फ़तेहपुर सीकरी

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फ़तेहपुर सीकरी

फ़तेहपुर सीकरी 16वीं शताब्दी में निर्मित, मकबरों का एक मोहक नगर है |  यह आगरा से 37 किमी की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक नगर है , इसकी नींव अकबर महान जिनकी 26 वर्षों तक कोई संतान न थी, ने रखी थी |अकबर सीकरी नगर में निवास करने वाले सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के पास गए | जिनके आशीर्वाद से अकबर को तीन पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई | इसके उपलक्ष्य में अकबर ने सीकरी में पूर्णता नए नगर का निर्माण करवाया | अकबर ने अपनी नई राजधानी का नाम फ़तेहपुर सीकरी रखा जिसका अर्थ विजय का नगर भी है |

फ़तेहपुर सीकरी मुगल वास्तुकला वैभव के चरम के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक है |

इसका निर्माण 1569 से 1585 के दौरान हुआ था तथा इसे राजधानी आगरा से जोड़े जाने का लक्ष्य था परंतु शीघ्र ही इसे छोड़ा गया क्योंकि यहाँ का जल तंत्र निवासियों को लाभान्वित नहीं कर रहा था | यह अगले 400 वर्षों तक अछूता रहा तथा अब इसके बहुत से स्थान मुगलों की अपव्ययिता के अवशेष हैं |फ़तेहपुर सीकरी हिन्दू व मुस्लिम वास्तुकला की पराकाष्ठा का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है |फ़तेहपुर सीकरी की मस्जिद के विषय में कहा जाता है कि यह मक्का की मस्जिद की प्रतिकृति है तथा इसे फ़ारसी व हिन्दू वास्तुकला के मिश्रण से बनवाया गया है |

इसके 20 वर्षों के भीतर, मुग़लों की राजधानी लाहौर स्थानांतरित कर दी गई |

दीवान-ए-ख़ास हॉल :लोक जन में इसे “एकस्तम्भ प्रासाद” के नाम से भी जाना जाताहै, दीवान-ए-ख़ास अकबर के शाही सदन के रूप में प्रयोग किया जाता था | इसे फ़ारसी वास्तु शैली में  निर्मित किया गया था तथा उच्च कोटि की मूर्तियों व मूल्यवान पत्थरों द्वारा सजाया गया था | इसमें खंभे द्वारा समर्थित चार मंडप हैं जो दरबार के बीचोबीच में हैं |

पंच महल: पंच महल फ़तेहपुर सीकरी की सर्वाधिक मोहक इमारतों में से एक है | यह पाँच मंज़िला इमारत है जो शाही महिलाओं तथा उपपत्नियों की आरामगाह के रूप में प्रयोग किया जाता था |  इसकी पाँचवीं मंज़िल से आसपास के क्षेत्रों का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है |

सलीम चिश्ती का मकबरा: प्रसिद्ध सूफी संत सलीम चिश्ती का मकबरा भी यहीं स्थित है | यह मकबरा अपनी अद्वितीय नक्काशी हेतु प्रसिद्ध है तथा सैंकड़ों पर्यटकों को अपनी ओर आकृष्ट करता है |

बुलंद दरवाज़ा : यह इस स्थान के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्मारकों में स्थान रखता है | इस विशाल दरवाजे की ऊंचाई लगभग  54 मीटर है तथा यह विश्व का सर्वाधिक विशाल द्वार है | अकबर की गुजरात विजय की सफलता की यादगार में इसे 1601 ई॰ में बनाया गया तथा ये फ़ारसी व मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट मिश्रण है |

फ़तेहपुर सीकरी में इन मुख्य आकर्षणों के अतिरिक्त दीवान-ए-आम,तुर्की सुलताना का निवास, दौलत ख़ाना-ए-ख़ास, जोधा बाई का महल, हवा महल, नगीना मस्जिद, बीरबल का महल, सुनहरा मकान तथा जामा मस्जिद आदि दर्शनीय स्थल हैं जिसे आज यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थलों की सूची में से एक अति महत्त्वपूर्ण स्थल माना जाता है |  आगरा भ्रमण के दौरान फ़तेहपुर सीकरी घूमना विश्व के सभी भागों से आए पर्यटकों के हृदय में जीवन पर्यंत रहता है |

समय : सभी दिन खुलता है

पर्यटकों का प्रकार प्रवेश शुल्क
विदेशी : रू॰ 485/-
भारतीय: रू॰ 50/-
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