प्रयागराज का वर्णन इसके बहुआयामी होने की अनुकूलता को प्रकट करता है |एक प्रमुख तीर्थ स्थल होने के साथ साथ इस नगर ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है |हिन्दू मत के अनुसार ब्रह्मांड के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने “प्रकृष्ट यज्ञ” करने का निश्चय किया | यह भूमि तीन पवित्र नदियों, गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती का संगम भी है | माना जाता है कि यह भूमि देवों के आशीर्वाद से परिपूर्ण है तथा इसे “प्रयाग” अथवा “प्रयागराज” के नाम से जाना गया |
इस स्थान की शुचिता को देखते हुए, भगवान ब्रह्मा ने इसे “तीर्थ राज” अथवा “सभी तीर्थों का केंद्र” की संज्ञा भी दी |वेदों-पुराणों तथा महाकाव्यों यथा रामायण व महाभारत में भी इस स्थान को “प्रयाग” कहा गया है |
आगरा से स्थानांतरित किए जाने के बाद प्रयागराज उत्तर पश्चिमी प्रांत का मुख्यालय बना | ब्रिटिश काल के भली प्रकार संरक्षित अवशेषों में मुईर कॉलेज तथा आल सेंट्स कैथेड्रेल सम्मिलित हैं |
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अनेकों अध्याय यहां लिखे गए यथा सन 1885 ई॰ में भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस की स्थापना तथा महात्मा गांधी द्वारा 1920 में चलाया गया अहिंसक असहयोग आंदोलन |
प्रयागराज उत्तर प्रदेश के बड़े नगरों में से एक है तथा ये तीन पवित्र नदियों गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है | इंका मिलन बिन्दु त्रिवेणी कहलाता है तथा ये हिंदुओं में विशेष पवित्र माना जाता है |इस नगर में आर्यों की पुरानी सभ्यताएँ विकसित हुईं, तब इसे “प्रयाग” कहा जाता था |“प्रयागस्य प्रवेशु पापं नाश्वति तत्क्षणम” |यह मान्यता है कि प्रयाग में एक पवित्र डुबकी लेने से सारे पापों का नाश हो जाता है |प्रयाग भारत के उन ऐतिहासिक व पौराणिक नगरों में से एक है जिनका गौरवमयी इतिहास व वर्तमान है | यह नगर अपनी सदा याद रहने वाली स्मृतियों की विशिष्टता से परिपूर्ण है | यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, जैन व ईसाइयों की मिली जुली जनसंख्या है |
इसकी शुचिता का संदर्भ पुराणों, रामायण व महाभारत में मिलता है | “पद्म पुराण” के उल्लेखानुसार, “जैसे सूर्य चंद्रमा के बीच प्रकाशमान है और चंद्रमा तारों के बीच, इसी प्रकार “प्रयाग” सभी तीर्थस्थानों के बीच प्रकाशमान है” |प्रयाग में नहाने का महत्त्व ब्रह्म पुराण में उल्लिखित है, “ माघ मास में प्रयाग में यमुना नदी का स्नान लाखों अश्वमेध यज्ञों से अधिक पुण्यदायी है” |
प्रयाग सोम, वरुण व प्रजापति का जन्मस्थल है | वैदिक व बौद्ध साहित्य में प्रयाग के पौराणिक व्यक्तित्वों से जुड़े होने का उल्लेख मिलता है | यह महान ऋषि भारद्वाज, ऋषि दुर्वासा व ऋषि पन्ना का ज्ञानस्थल था |ऋषि भारद्वाज यहाँ 500 ई॰ पू॰ रहे तथा 10,000 से अधिक शिष्यों को शिक्षा दी | वह प्राचीन विश्व के महानतम दार्शनिक थे |
संगम के अत्यंत निकट बसा वर्तमान झूंसी क्षेत्र तत्कालीन चंद्रवंशी राजा पुरुरवा की राजधानी था | निकटवर्ती कौशांबी नगर वत्स व मौर्यकाल में बहुत समृद्ध हुआ | तीसरी शताव्ब्दी ई॰ पू॰ में अशोक स्तम्भ पर लिखे अपने साथी राजाओं के लिए सम्राट अशोक के निर्देश तथा राजा समुद्रगुप्त की प्रशंसा इसकी पुष्टि करते हैं | चीनी यात्री हवेन्त्सांग ने 643 ई॰पू॰ में लिखा है कि प्रयाग में बहुत हिन्दू निवास करते थे तथा इसे अति पवित्र नगर मानते थे |
1575 ई॰ में सम्राट अकबर संगम की रणनीतिक महत्ता से प्रभावित हुए व “इलाहाबास” नामक नगरी की स्थापना की, जिसका अर्थ है “अल्लाह का बसाया नगर” | मध्यकाल में यह भारत के धार्मिक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में ख्यात था | लंबे समय तह यह नगर मुग़लों की राज्य राजधानी रहा | बाद में इस पर मराठाओं का अधिकार हो गया | कुछ ऐसे घटना क्रम, जिनका इस नगर ने अनुभव किया, निम्नलिखित हैं :-
- 1801 ई॰ में अवध के नवाब ने इसे ब्रिटिश सत्ता को सौंप दिया | ब्रिटिश सेना ने इसे सामरिक उद्देश्यों हेतु प्रयोग किया |
- 1857 ई॰ में यह नगर स्वातंत्र्य युद्ध का केंद्र था तथा बाद में ब्रिटिशों के विरुद्ध भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन की धुरी बन गया |
- 1858 ई॰ में ईस्ट इंडिया कंपनी ने आधिकारिक रूप से मिंटो पार्क में भारत को ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया |प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के बाद इस नगर का नाम “अल्लाहाबाद” रखा गया तथा इसे संयुक्त प्रांत आगरा व अवध की राजधानी बनाया गया |
- 1868 ई॰ में यह नगर न्याय स्थली बना जब प्रयागराज उच्च न्यायालय की स्थापना हुई |
- 1871 में ब्रिटिश वास्तुकार विलियम इमर्सन ने एक शानदार स्मारक “आल सेंट कैथेड्रेल” का निर्माण किया | वह कोलकाता के प्रसिद्ध “विक्टोरिया मेमोरियल” के भी वास्तुकार हैं |
- 1887 ई॰ में प्रयागराज में निर्मित हुआ विश्वविद्यालय चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है | प्रयागराज भारतीय वास्तुकला की परम्पराओं व विक्टोरियाई तथा जोर्जियन वास्तुकला के मिश्रण से निर्मित अनेकों भवनों से समृद्ध है |
यह नगर अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का हृदयस्थल था तथा आनंद भवन इन गतिविधियों का केंद्र |प्रयागराज में ही महात्मा गांधी ने अहिंसक विरोध कार्यक्रम प्रस्तावित किया था |स्वतन्त्रता के पश्चात प्रयागराज ने सर्वाधिक प्रधानमंत्री दिये हैं यथा पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी॰पी॰सिंह तथा चन्द्र शेखर | पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर प्रयागराज विश्वविद्यालय के विद्यार्थी थे |
प्रयागराज मूलरूप से प्रशासनिक व शैक्षिक नगर है | उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय, उत्तरप्रदेश के महालेखाकार, प्रमुख रक्षा लेखा नियंत्रक (पेंशन) उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) कार्यालय, पुलिस मुख्यालय तथा शिक्षा के क्षेत्र में मोती लाल नेहरू क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल एंड एग्रीकल्चर कॉलेज, आई आई आई टी, आई टी आई नैनी तथा इफ़्को फूलपुर, त्रिवेणी ग्लास इत्यादि कुछ प्रमुख उद्योगों में से हैं |
सभ्यता के दिनों से ही प्रयागराज शिक्षा, बौद्धिकता व लेखन का स्थान रहा है |यह भारत का सर्वाधिक मुखर राजनीतिक तथा आध्यात्मिक रूप से जागरूक नगर है |
क्षेत्रफल: 54.83 वर्ग किमी
जनसंख्या: 59,59,798 (2001 जनगणना)
ऊंचाई : 98 मीटर समुद्र तल से
Season : November-February
वस्त्र (ग्रीष्म) : सूती
वस्त्र (शीत) : ऊनी
भाषा: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी
उत्सव: माघ मेला, कुम्भ मेला, अर्ध कुम्भ मेला, दशहरा, गंगा वाटर रैली, त्रिवेणी महोत्सव इत्यादि |
स्थानीय परिवहन: बसें,टैक्सियाँ, आटो-रिक्शा
एस टी डी कोड: 0532
प्रयागराज उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में 25.45 0 उत्तर तथा 81.840 पूर्वी अक्षांसों के मध्य स्थित है | समुद्र तल से 98 मीटर (322 फुट) की ऊंचाई पर खड़ा यह नगर गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है | पूर्व काल में यह क्षेत्र वत्स देश कहलाता था |इसके दक्षिण तथा दक्षिणपूर्व में बघेलखंड क्षेत्र है | इसके पूर्व में मध्य गंगा घाटी अथवा पूर्वाञ्चल है,दक्षिण पश्चिम में बुंदेलखंड क्षेत्र, उत्तर में अवध क्षेत्र तथा पश्चिम में कौशांबी के साथ दोआब का भाग अर्थात निचला दोआब क्षेत्र स्थित है |
उत्तर में प्रतापगढ़ जनपद, दक्षिण में रीवा (मध्य प्रदेश), पूर्व में संत रविदास नगर तथा पश्चिम में कौशांबी जनपद स्थित हैं |
प्रयागराज में अवध के नवाबों द्वारा निर्मित बहुत से भवन हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं | कुछ ऐतिहासिक भवन नीचे दिये गए हैं :-
वायुमार्ग
बमरौली हवाई अड्डा प्रयागराज से 14 किमी की दूरी पर स्थित है |
प्रयागराज से दिल्ली के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं |
एअर इंडिया
सोमवार से शनिवार 1:20 अपराहन (प्रयागराज से दिल्ली)
रेल
प्रयागराज मुख्य नगरों यथा कोलकाता, दिल्ली, जयपुर, लखनऊ तथा मुंबई से रेलमार्ग द्वारा भली प्रकार जुड़ा है |प्रयागराज तक पहुँचने के लिए कुछ प्रमुख रेलगाड़ियां इस प्रकार हैं :-
- 1093/1094 महानगरी एक्स्प्रेस (वाराणसी-मुंबई)
- 2559/2560 शिवगंगा एक्सप्रेस (नई दिल्ली-वाराणसी)
- 2427/2428 रीवा एक्स्प्रेस (नई दिल्ली-रीवा)
- 2403/2404 मथुरा एक्स्प्रेस (प्रयागराज-आगरा-मथुरा)
- 2311/2312 कालका मेल (कालका/दिल्ली-हावड़ा)
- 2381/2382 तथा 2303/2304 वातानुकूलित एक्स्प्रेस (अमृतसर-दिल्ली -हावड़ा)
- 2815/2816 नई दिल्ली-पुरी एक्स्प्रेस
- 3007/3008 उद्यान आभा तूफ़ान एक्स्प्रेस (श्रीगंगानगर/दिल्ली-हावड़ा)
- 3011/3012 हावड़ा एक्स्प्रेस (हावड़ा-दिल्ली)
- 2321/2522 नॉर्थ ईस्ट एक्स्प्रेस (नई दिल्ली –गुवाहाटी)
- 2391-2392 मगध विक्रमशिला एक्स्प्रेस (नई दिल्ली-पटना)
- 2417/2418 प्रयागराज एक्स्प्रेस (नई दिल्ली)
- 1071/1072 कामायनी एक्स्प्रेस (वाराणसी-मुंबई)
- 2275/2276 प्रयागराज/नई दिल्ली – दूरंतो एक्स्प्रेस
सड़क
प्रयागराज, राष्ट्रीय उच्चमार्ग संख्या 2, 27 तथा 24 बी पर देश के अन्य भागों से उच्च कोटि की सड़कों द्वारा जुड़ा है |कुछ मुख्य नगरों की सड़क मार्ग से दूरियाँ इस प्रकार हैं :-
- आगरा (433 किमी)
- अहमदाबाद (1207 किमी)
- अयोध्या (167 किमी)
- भोपाल (680 किमी)
- कोलकाता (799 किमी)
- चेन्नई (1790 किमी)
- चित्रकूट (125 किमी)
- नई दिल्ली (643 किमी)
- हैदराबाद (1086 किमी)
- जयपुर (673 किमी)
- झांसी (375 किमी)
- खजुराहो (294 किमी)
- मुंबई (1444 किमी)
- लखनऊ (204 किमी)
- नागपुर (618 किमी)
- पटना (368 किमी)
- त्रिवेन्द्रम (2413 किमी)
- उदयपुर (956 किमी)
- वाराणसी (125 किमी)
- कानपुर (205 किमी)