कुशीनगर (पड़रौना)

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कुशीनगर (पड़रौना)

उत्तर प्रदेश के पूर्व में स्थित कुशीनगर,अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है | यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों हेतु पवित्र स्थानों में से एक है |कुशीनगर में बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महान बुद्ध ने अपना अंतिम प्रवचन दिया | यह अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध तीर्थस्थान है | बौद्ध धर्म के अनुयायी, विशेष कर एशियाई देशों से, अपने जीवन काल में कम से कम एक बार इस पवित्र स्थान पर अवश्य आना चाहते हैं |

वर्तमान कुशीनगर (पूर्व बुद्ध काल) में कुशावती तथा (बुद्ध काल में) कुशीनारा के नाम से जाना जाता था | कुशीनारा मल्लाओं की राजधानी था जो छठी शताब्दी ईसा पूर्व के 16 महाजनपदों में से एक था |

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, मल्ला पूर्व में कोसला जनपद का ही एक भाग था | कुशावती राजधानी का निर्माण भगवान राम, जो प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण के नायक थे, के पुत्र कुश द्वारा किया गया था | राम के संसार त्याग के पश्चात, कुश ने अयोध्या के लिए कुशावती को छोड़ दिया | उनके चचेरे भाई चन्द्रकेतु, जो लक्ष्मण के पुत्र थे, ने इस क्षेत्र का उत्तरदायित्व सम्हाला |बुद्ध के पाली साहित्य के अनुसार, कुशावटी नाम राजा कुश से भी पूर्व का था | इस नगर का नाम कुशावटी रखे जाने के पीछे इस क्षेत्र में कुश नामक घास का बहुतायत से पाया जाना भी एक कारण है |तब से यह पूर्ववर्ती मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त तथा हर्ष वंशों के साम्राज्यों का एक अभिन्न अंग रहा है |

मध्यकाल में कुशीनगर कुल्तुरी राजाओं के आधिपत्य में चला गया | कुशीनारा 12वीं शताब्दी तक एक आवासीय नगर के रूप में प्रयोग किया जाता रहा  पर बाद में विस्मृत हो गया | ऐसा विश्वास किया जाता है कि पड़रौना पर एक साहसी राजपूत मदन सिंह ने 15वीं शताब्दी में शासन किया था |

आधुनिक कुशीनगर 19वीं शताब्दी में अस्तित्त्व में आया जब भारत के प्रथम पुरातत्वीय सर्वेक्षक ए॰ कनिंघम द्वारा पुरातत्वीय खुदाइयाँ की गईं | बाद में सी॰एल॰ कारलेयल, जिन्होंने मुख्य स्तूप को खोजा तथा बुद्ध की 6.10 मीटर लंबी लेटी हुई प्रतिमा भी खोजी | इससे पूर्व भगवान बुद्ध की निर्वाण प्रतिमा खोज ली गई थी | 1876 में बर्मा के एक साधु वेन चंद्रा स्वामी ने भारत भ्रमण किया और “महापरिनिर्वाण मंदिर” को निवासी मंदिर में परिवर्तित कर दिया |

स्वतन्त्रता के पश्चात, कुशीनगर देवरिया जनपद का एक भाग रहा | 13 मई, 1994 को यह सर्वांगीण, संतुलित और तीव्र विकास हेतु उत्तर प्रदेश के एक नए जनपद के रूप में अस्तित्त्व में आया |

कुशीनगर की अपनी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्ता है |

यह धर्म बौद्ध के संस्थापक भगवान बुद्ध की भूमि है, जिन्होंने अपना अंतिम प्रवचन यहीं दिया,“महापरिनिर्वाण” प्राप्त किया व जिनका अंतिम संस्कार रामभर (कुशीनगर) में हुआ | बुद्ध का अंतिम संस्कार “मुकुट बंधन” (रामभर) में हुआ जहां “मल्लाओं” ने भस्म के ऊपर एक विशाल स्तूप का निर्माण करवाया |बाद में अशोक महान ने भी इसका नवीकरण करवाया |  चीनी यात्री फ़ाहयान तथा हवेन्त्सांग ने अपने यात्रा-वृतांत में “कुशीनारा” का उल्लेख किया है |

यह स्थान जैन धर्म के संस्थापक, 24वें तीर्थकर भगवान महावीर से भी संबन्धित है | यह विश्वास किया जाता है कि भगवान महावीर ने “पावा” में परिनिर्वाण प्राप्त किया |   पाली त्रिपिटक के अनुसार, “पावा” मल्लाओं की द्वितीय राजधानी व प्रथम “कुशीनारा” थी |  “पावा” वर्तमान समय के फ़ाज़िलनगर के रूप में जाना जाता है, यह स्थान कुशीनगर से 16 किमी दक्षिण -पूर्व की दूरी पर स्थित है ||

कुशीनगर गौरवमयी इतिहास व संस्कृति का साक्षी रहा है | माना जाता है कि कुशीनगर वैष्णव, शैव, शक्तिपीठ, बुद्ध , महावीर इत्यादि हेतु महत्त्वपूर्ण केन्द्र था |साधु, सन्यासी तथा महात्मा इसके पवित्र, शांत व अप्रतिम प्राकृतिक स्थलों से घिरे होने के कारण आकर्षित हुए थे,गंडक नदी के किनारे तथा हिमालय की तराई में स्थित होने के कारण यह संतों हेतु आदर्श “ध्यान स्थल” था,| पुरातत्वीय खुदाइयों से प्राचीन वस्तुओं, कलात्मक कलाकृतियों तथा बहुत से देवी देवताओं की मूर्तियों का समृद्ध संग्रह प्राप्त हुआ है |

इस क्षेत्र की सार्थकता प्राचीन उच्च मार्गों हेतु “पहुँच मार्ग” होने के कारण भी है |  उस समय के महत्वपूर्ण मार्ग अयोध्या-जनकपुर (बिहार) , राजगढ़-वैशाली-श्रावस्ती, महर्षि वाल्मीकि आश्रम मार्ग, अशोक महान, मौर्य, स्तम्भ मार्ग इत्यादि सब इसी नगर से होकर गुज़रते थे |

कुशीनगर गोरखपुर से 53 किमी पूर्व में राष्ट्रीय उच्चमार्ग-28 पर स्थित है | इसकी स्थिति 26° 45´ उत्तर तथा 83° 24´ पूर्वी अक्षांसों के मध्य है |

पड़रौना जनपद मुख्यालय है जो गोरखपुर से 71 किमी तथा लखनऊ से 336 किमी की दूरी पर स्थित है | यह एक तराई क्षेत्र है इसका भौगोलिक क्षेत्रफल 2873.5 वर्ग किमी है |

यह महराजगंज, गोरखपुर, देवरिया जनपदों से घिरा है तथा इसके पूर्व में बिहार राज्य स्थित है |

दर्शनीय स्थल

  • महापरिनिर्वाण मंदिर
  • निर्वाण चैत्य
  • रामभर स्तूप
  • मठ कुआर मंदिर
  • मेडिटेशन पार्क
  • भारतीय-जापानी-श्रीलंका मंदिर
  • वट थाई मंदिर
  • संग्रहालय
  • अवशेष व ईंटों की संरचनाएँ

पर्यटन स्थल

  • पावा नगर
  • सूर्य मंदिर

वायु मार्ग

उत्तर प्रदेश नागरिक उड्डयन विभाग की हवाई पट्टी कसया में उपलब्ध है, जो कुशीनगर से मात्र 5 किमी की दूरी पर स्थित है | वायु सेना का स्टेशन भी कुशीनगर से 46 किमी की दूरी पर स्थित है जहां वायु सेना की अनुमति से लैंडिंग व टेक-ऑफ़ अनुमन्य है |

सड़क मार्ग

कुशीनगर आवागमन योग्य सड़कों व नियमित बस सेवा से जुड़ा हुआ है | गोरखपुर (51 किमी) व देवरिया (35 किमी) से हर समय सड़क यातायात उपलब्ध है |

रेल  :

पड़रौना, जनपद मुख्यालय, निकटवर्ती रेलवे स्टेशनों से भली प्रकार जुड़ा है | यहाँ पहुंचने के लिए गोरखपुर (51 किमी) व देवरिया (35 किमी) निकटवर्ती रेलवे स्टेशन हैं | गोरखपुर भारत के सभी प्रमुख नगरों से भली प्रकार जुड़ा है |

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