रूमी दरवाज़ा

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रूमी दरवाज़े

उत्तर प्रदेश के जनपद लखनऊ में निर्मित रूमी दरवाज़ा एक भव्य प्रवेश द्वार है जिसे नवाब आसिफ-उद-दौला के शासनकाल में 1784 ई॰ में बनाया गया था तथा ये भारत के सर्वाधिक आलीशान निर्माणों में से एक है | यह अवधी स्थापत्यकला का एक उदाहरण है | “रूमी” शब्द आधुनिक काल के रोम, तत्कालीन इस्तांबूल से लिया गया है, जो पूर्वी रोमन साम्राज्य की राजधानी था | यह लखनऊ के आसफ़ी इमामबाड़ा के बहुत निकट स्थित है तथा लखनऊ का लोगो बन चुका है | यह पुराने समय में लखनऊ नगर का प्रवेश द्वार माना जाता था परंतु जब नगर में नवाबों का दौर विकसित हुआ तो यह द्वार एक महल का प्रवेश द्वार के रूप में प्रयोग किया जाने लगा जिसे बाद में अंग्रेजों द्वारा गिरा दिया गया | रूमी दरवाज़ा तुर्की के प्रवेश द्वार के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि प्राचीन कोन्स्तेंटिनोपल में बने एक प्रवेश द्वार की प्रतिकृति है

रूमी दरवाज़ा आश्चर्यचकित रूप से 60 फुट ऊंचा है | इस दरवाज़े के सबसे ऊपरी भाग पर सुंदर नक्काशीदार अष्टकोणीय छतरी बनी है जिस पर सीढ़ियों की सहायता से पहुंचा जा सकता है | दरवाज़े के सबसे ऊपरी भाग पर एक विशाल लालटेन रखी जाती थी जिसके प्रकाश में रात में इसका रूप और भी मनमोहक हो जाता था | पानी की छोटी फुहारें मेहराब के किनारों पर सुंदरता से तराशी गई कलियों के बगल से निकलती थीं तथा इसे स्वर्गिक रूप प्रदान करती थीं | खूबसूरती से तराशे गए फूल तथा आकृतियां इसकी विशिष्ट वास्तुशैली की विस्तृत कहानी कहती हैं |