स्वराज भवन

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स्वराज भवन

स्वराज भवन, पुराने समय का आनंद भवन, प्रयागराज में स्थित एक बहुत बड़ी हवेली है | इसे भारतीय राजनीतिक पंडित मोती लाल नेहरू ने 19वीं शताब्दी में बनवाया था, यह नेहरू-गांधी परिवार का पैतृक आवास था जहां भारत की तृतीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म हुआ | इसका प्रबंधन “जवाहर लाल नेहरू स्मारक निधि” दिल्ली द्वारा किया जाता है | संप्रति, स्वराज भवन परिसर बच्चों को शिल्प व कला की शिक्षा देने हेतु प्रयोग किया जाता है | यहाँ एक “दृश्य-श्रव्य कार्यक्रम” भी आयोजित किया जाता है जिसके प्रतिदिन चार शो होते हैं | संप्रति यह देश के सर्वश्रेष्ठ संचालित संग्रहालयों में से एक है | इसके खंभेदार बरामदों व ऊंची ऊंची छतों वाले कमरों ने नियति के साथ किए गए बहुतेरे प्रयासों का अनुभव किया है हालांकि उनमें से कुछ आधुनिक भारत के इतिहासकारों की क़लम से छूट भी गए हैं | अन्य प्रकरण इस भवन के वासियों को ही पता थे जो अब इस संसार में नहीं हैं |

सन 1900 में, मोतीलाल नेहरू जो एक प्रसिद्ध वकील थे, ने 1 चर्च रोड प्रयागराज में यह आलीशान निवास खरीदा | घर पूरी तरह जीर्ण था, परंतु यह संपत्ति बहुत बड़ी थी | अगले दशक तक इसकी मरम्मत का कार्य पूरा किया गया | मोतीलाल ने पसंद के फ़र्नीचर खरीदने के लिये यूरोप तथा चीन के बारंबार दौरे किए | उन्होंने  हवेली को यथार्थ के महल सदृश कर दिया। “पूर्व व पश्चिम के मध्य विभक्त किसी अंग्रेज़ी देश की संपत्ति की प्रतिकृति जैसा”  बना दिया, जिसमें लगभग सौ अनुचर थे | मोतीलाल ने इसे आनद भवन नाम दिया |

स्वराज भवन मूल रूप से सर सैयद अहमद खाँ से संबन्धित था, जो 19वीं शताब्दी के एक मुस्लिम नेता तथा शिक्षाविद थे | गृह प्रवेश पार्टी के दौरान, सर विलियम मूर ने आशा व्यक्त की कि सिविल लाइंस, प्रयागराज स्थित ये विशाल व शानदार हवेली, भारत और ब्रिटिश साम्राज्य के सम्बन्धों को और अधिक मज़बूत बनाएगी | विडम्बना देखिये कि वर्ष 1900 में मोती लाल नेहरू द्वारा खरीदा गया ये घर भारत में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के  क्रम में भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष का एक प्रारम्भिक स्थल बन गया |   

मोती लाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे | इस कारण बहुत से नामी नेता तथा पार्टी कार्यकर्ता “नेहरू निवास” पर आया करते थे | मोतीलाल के पुत्र जवाहर लाल के उत्थान के साथ ही यह हवेली भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष का केंद्र बन गई | 1930 में मोतीलाल नेहरू द्वारा इसे भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस को दान में दिये जाने से पूर्व, 1920 में इस क्षेत्र में यह अखिल भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस का आधिकारिक कार्यालय था |  नेहरू परिवार नें स्वराज भवन के निकट ही एक और भवन का निर्माण किया जिसका नाम आनंद भवन रखा गया | पुराने घर का नाम स्वराज भवन रखा गया | कुछ लोगों का मत है कि आनंद भवन नाम तत्कालीन शायर अकबर प्रयागराजी  ने सुझाया था |

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1970 में इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया तथा यह उनके पिता व दादा की पुस्तकों व यादगार वस्तुओं का संग्रहालय बन गया |