संगमरमर के इस अद्वितीय शाहकार के निर्माण का श्रेय मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को जाता है जिसने इसे अपनी प्रिय पत्नी अर्जुमंद बानो बेगम, जो मुमताज़ महल के नाम से लोकप्रिय थीं, की याद में बनवाया था |मुमताज़ महल की मृत्यु 1040 अल हिजरी (सन 1630) में हुई थी | उनकी अपने पति से आखिरी इच्छा थी कि “उनकी याद में ऐसा मकबरा बनवाया जाए जैसा दुनिया में पहले कभी न बना हो” | इस प्रकार शाहजहाँ ने इस परी कथा जैसे चमत्कार को बनवाने हेतु अपना मन बना लिया था |ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में प्रारम्भ हुआ तथा 1648 में पूर्ण हुआ | सत्रह वर्षों तक 20,000 श्रमिकों ने इसमें प्रतिदिन काम किया | उनके आवास के लिए स्वर्गीय महारानी के नाम आर “मुमताज़ाबाद” बसाया गया जिसे आजकल “ताजगंज” कहा जाता है, यह ताज के निकट ही बना है |
अपनी महिमा व भव्यता में अद्वितीय संगमरमर एक कविता सदृश है, पूरे संसार में ताजमहल जैसा कोई और स्मारक नहीं है |
रवीन्द्र नाथ टैगोर ने ताजमहल को “अनंतकाल के मुखमंडल पर एक आँसू” की संज्ञा दी है, जबकि कुछ अन्य लोगों की दृष्टि में यह “संगमरमर का कोमल हाथी” है तथा प्रेम का एक परम प्रतीक |
ताज महल को विश्व के आठ आश्चर्यों में से एक माना जाता है तथा कुछ पश्चिमी इतिहासकारों का मानना है कि इसकी वास्तुकलात्मक सौन्दर्य श्रेष्ठता को कभी कम नहीं किया जा सका | भारत के मुस्लिम शासक मुग़लों द्वारा बनवाया गया यह सर्वाधिक सुंदर स्मारक है | यह पूर्ण रूपेण सफ़ेद संगमरमर द्वारा निर्मित है | इसकी हैरान कर देने वाली वास्तुकलात्मक सुंदरता वर्णन से परे है, विशेषकर भोर व सूर्यास्त के समय | पूर्ण चंद्र रात्रि को ताज की शोभा देखते ही बनती है |
धुंधली सुबह, आगंतुकों को ताज वैसा ही दिखाई देता है जैसा कि यमुना नदी के पार से देखने पर प्रतीत होता है | (यमुना नदी के पार से ताज आकाश की धवलता में विलीन दिखाई पड़ता है )
शाहजहाँ ने अपना शासनकाल अपने भाइयों की हत्या कर प्रारम्भ किया था लेकिन उसने अपने पुत्रों की हत्या को नज़रअंदाज़ कर दिया,जबकि उनमें से एक की मंशा शाहजहाँ को मार्ग से हटाने की थी | 1657 में उसके पुत्र औरंगज़ेब ने दकन में विद्रोह कर दिया | औरंगज़ेब ने अपने खिलाफ भेजी गई सभी सेनाओं को परास्त कर दिया, अपने पिता को पकड़ लिया व आगरा के क़िले में बंदी बना लिया | 9 कष्टकारी वर्षों तक पदच्युत बादशाह वहाँ क़ैद रहा, उसका पुत्र उसे कभी देखने नहीं आया, केवल उसकी वफ़ादार बेटी जहाँआरा उससे मिलने आती रही | शाहजहाँ ने अपनी क़ैद के दौरान आगरा क़िले के यासमीन बुर्ज से यमुना नदी पार ताजमहल को निहारते हुए अपने दिन गुज़ारे जहाँ उसकी प्रिय पत्नी सोई थी |ताज महल एक मकबरा है जिसके तहखाने में बेग़म-ए-हिन्द मुमताज़ महल की क़ब्र है | बाद में शाहजहाँ की क़ब्र भी इसके साथ बनाई गई | रानी का वास्तविक नाम अर्जुमंद बानो था | मुग़ल परंपरा में, विवाहोपरांत अथवा जीवन की अन्य दूसरी घटनाओं के अनुसार राजपरिवारों की महत्त्वपूर्ण महिलाओं को नया नाम दिया जाता था | जनता नए नाम से ही उन्हें बुलाती थी | शाहजहाँ का भी वास्तविक नाम शहाब-उद-दीन था और वह भी 1628 में गद्दी पर बैठने से पहले शहज़ादा खुर्रम कहलाता था |
ताज एक ऊंचे वर्गाकार (186 x 186 फुट) के प्लेटफ़ार्म पर खड़ा है जिसके चारों कोने अलग हैं इस प्रकार यह एक समान अष्टकोण की रचना करता है | इसकी वास्तुकला का डिज़ाइन अरबी इंटर्लोकिंग पद्धति पर आधारित है, इनमें से हर एक भाग अपनी नींव पर टिका है तथा मुख्य भाग के साथ भली प्रकार स्वयं को एकीकृत करता है | इसके निर्माण का आधार स्वयं-प्रतिकृति ज्यामिति के सिद्धांत व और वास्तु तत्वों की समरूपता का उपयोग है |
यह स्मारक एक ही परिसर में बहुत से आलीशान भवनों का संग्रह है जिसमें एक मुख्य प्रवेश द्वार है, एक भव्य बगीचा, बाईं ओर एक आलीशान मस्जिद, दायीं ओर एक अतिथि गृह तथा अन्य बहुत से आलीशान भवन |इस परिसर के सबसे अंत में ताज स्थित है, जिसके पीछे यमुना नदी बहती है |बहुत बड़े बगीचे में चार परावर्तक पूल बने हैं जो इसे मध्य से विभाजित करते हैं | इन चारों खंडों में से प्रत्येक पुनः चार भागों में बांटा गया है तथा इसके बाद भी हर खंड पुनः चार खंडों में |ताज की भांति, बागीचे भी कल्पनाशीलता को प्रकट करते हैं जो स्वयं में अलग होते हुए भी समग्रता प्रदर्शित करते हैं |
इसका मुख्य प्रवेश द्वार कभी ठोस चांदी से निर्मित था अब संगमरमर की कढ़ाई से सुसज्जित है | दीवारों पर क़ुरान की आयतें आभूषणों से जड़ी हुई हैं | उन में से एक “पवित्र हृदय” व्यक्ति को “स्वर्ग के बगीचे” में आने का आमंत्रण देती है |
ताज महल का चार मंज़िला प्रवेश द्वार 100 फुट ऊंचा तथा लाल पत्थरों से निर्मित है | पवित्र क़ुरान की आयतों का सुलेख, फूलों व पत्तियों की गुंथी नक्काशी व लटकी हुई लताएं इसकी श्रेष्ठता की कहानी कहती हैं | ये विशेषताएँ सफ़ेद संगमरमर में बहुमूल्य पत्थरों को जड़ कर रची गई हैं |
दक्षिणी द्वार
यह द्वार दक्षिण की ओर है जिसके सामने पुराना मुमताज़ाबाद (वर्तमान ताजगंज) स्थित है | यह पैदल यात्रियों के लिए है | इस द्वार के दाहिनी ओर लाल पत्थर से बना एक मकबरा है जिस पर एक गुंबद है तथा यह बगीचों से घिरा है | कहा जाता है कि यह मुमताज़ महल की किसी सहेली की क़ब्र है | इसी कारण यह कनीज़ का मकबरा कहलाता है |
यह एक ऊंचे वर्गाकार चबूतरे पर स्थित है जिसकी हर ओर से लंबाई 156 फुट है | केन्द्रीय कक्ष में संगमरमर पत्थर से निर्मित बिना उभरी खुदाई वाली दो क़ब्रें हैं | इस भवन का प्लेटफॉर्म अष्टकोणीय है तथा गुंबद शलजम की आकृति का है | किसी भी इतिहासकार ने इन क़ब्रों का कोई आधिकारिक वर्णन नहीं किया है, फिर भी यह माना जाता है कि ये क़ब्रें मुमताज़ महल के व्यक्तिगत सहायकों की हैं | इस भवन के ठीक विपरीत इसी प्रकार का लाल पत्थरों से निर्मित एक और भवन भी है |
पूर्वी द्वार
Tयह द्वार फ़तेहाबाद की ओर है | इस द्वार के निकट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थित गुंबद से ढका हुआ एक मकबरा स्थित है | यह मकबरा शाहजहाँ की एक अन्य पत्नी “सरहिन्दी बेगम” की स्मृति में बना है | इस कारण यह द्वार “सिरही दरवाजा” के नाम से जाना जाता है | मुख्य भवन अष्टकोणीय है, इसमें 24 मेहराब, एक बड़ा हाल व एक बरामदा है |
पश्चिमी द्वार
यह ताज महल में प्रवेश का मुख्य द्वार है तथा यह आगरा छावनी व आगरा सिटी की ओर उन्मुख है | लाल पत्थर से निर्मित भवन द्वार के बाहरी ओर स्थित है, यह भी शाहजहाँ की एक अन्य पत्नी फ़तेहपुर बेगम के नाम से जाना जाता है | यह एक सुंदर छत पर निर्मित किया गया है |
ताज महल का मुख्य द्वार
यह प्रवेश द्वार एक अष्टकोणीय प्रवेश हाल है जिसके दोनों ओर छोटे छोटे कक्ष बने हैं | सुंदर फ़र्श के दोनों ओर कलात्मक आभूषणों से युक्त सुंदर द्वार बने हैं | एक द्वार बगीचे में खुलता है तथा दूसरा स्वयं ताज की ओर | इस द्वार के तीन ओर भव्य बालकनियाँ हैं | प्रवेश द्वार स्वयं में जड़ाऊ कार्य का एक नायाब नमूना है |
ताजमहल का भ्रमण करने वाले पर्यटकों हेतु सूचना
स्मारक के भीतर पानी की बोतल अनुमन्य है | जूते के कवर, आधा लीटर पानी की बोतल तथा आगरा का पर्यटक दिग्दर्शक मानचित्र, बैटरी बस व गोल्फ कार्ट सेवा प्रत्येक विदेशी पर्यटक को ताज के प्रवेश टिकट के साथ निशुल्क दी जाती है | दिव्यांग लोगों हेतु व्हील चेयर तथा प्राथमिक चिकित्सा ताज महल स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कार्यालय में उपलब्ध है | संपर्क संख्या – 0562 – 2330498 |
करें
- पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि यदि पूर्वी व पश्चिमी प्रवेश द्वार पर लंबी भीड़ हो तो वे दक्षिणी द्वार का प्रयोग करें जो कि पूर्वी व पश्चिमी द्वार से मात्र 250 मीटर की दूरी पर स्थित है |
- पर्यटकों को कूड़ेदान का प्रयोग करके स्मारक को साफ़ सुथरा रखने में अवश्य सहयोग करना चाहिए |
- पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे अधिकृत गाइड व फ़ोटोग्राफ़र की ही सेवाएँ लें जिनके पास उनका परिचय पत्र हो |
- ताज परिसर में स्थित ताज संग्रहालय 10:00 बजे पूर्वाह्न से लेकर 5:00 बजे अपराहन तक खुलता है | प्रवेश निशुल्क है |
- ताज महल की 500 मीटर की सीमा में कोई भी प्रदूषण वाहन अनुमन्य नहीं है | पूर्वी द्वार पर पार्किंग की सुविधा “शिल्पग्राम” में तथा पश्चिमी द्वार पर “अमरूद का टीला” में उपलब्ध है |.
क्या न करें
- खानापीना व धूम्रपान ताजमहल के अंदर निषिद्ध है | आग्नेयास्त्र, गोला बारूद, आग, धुएँ वाली वस्तुएँ, तंबाकू उत्पाद, मदिरा, खाने पीने वाली वस्तुएँ, (टॉफ़ी) हेड फ़ोन, चाकू, तार, मोबाइल चार्जर, इलेक्ट्रोनिक वस्तुएँ (कैमरा के अतिरिक्त), ट्राईपॉड भी वर्जित है |
- मोबाईल फ़ोन्स को स्विच ऑफ रखना है |
- कृपया बड़े बैग व किताबों को स्मारक के भीतर न ले जाएँ, इससे सुरक्षा जांच में लगने वाला समय बढ़ सकता है |
- मुख्य मकबरे के भीतर फ़ोटोग्राफ़ी प्रतिबंधित है |
- दीवारों को न छुएँ व न ही खुरचें क्योकि इन ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण हेतु विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है |
- आगंतुकों को सलाह दी जाती है कि वे ताज महल के भीतर शोर न करें |
- उपरोक्त वर्णित प्रतिबंधों की सूची के साथ ही रात्रि भ्रमण करने वालों के लिए मोबाइल फ़ोन भी निषिद्ध हैं |वीडियो कैमरा, स्टिल कैमरा के साथ अतिरिक्त बैटरी केवल सुरक्षा जांच के बाद ही अनुमन्य है |
समय: 6:00 बजे पूर्वाह्न से लेकर 7:30 बजे अपराहन तक (ताज महल शुक्रवार को बंद रहता है )
प्रवेश शुल्क: |
रू॰. 750 (विदेशी नागरिक) |
रू॰. 20 (भारतीय, दिन के समय) |
Rs. 110 (Indians, during sunrise and sunset) |
जनपद: आगरा , यमुना नदी के किनारे
राज्य: उत्तर प्रदेश
दिल्ली से दूरी: 204 km (approximately)
भ्रमण का सर्वोत्तम समय : अक्तूबर से मार्च (शीत ऋतु में)
वायुमार्ग द्वारा
ताज महल देखने हेतु आगरा पहुँचने का सबसे तीव्र साधन वायु मार्ग द्वारा है | ताज नगरी, आगरा के पास नगर के केंद्र से 7 किमी की दूरी पर हवाई अड्डा स्थित है | इंडियन एयरलाइन्स आगरा हेतु नियमित उड़ानें संचालित करती है |
रेलमार्ग द्वारा
देश के अन्य भागों से आगरा हेतु रेलगाड़ियों का एक सुदृढ़ नेटवर्क है | मुख्य रेलवे स्टेशन आगरा छावनी के अतिरिक्त दो अन्य स्टेशन “राजा की मंडी” तथा “आगरा फ़ोर्ट” भी हैं | दिल्ली से जोड़ने वाली मुख्य रेलगाड़ियों में “पैलेस ऑन व्हील्स” “शताब्दी”, “राजधानी” व “ताज एक्स्प्रेस” हैं |
सड़क मार्ग द्वारा
आगरा से बहुत से महत्वपूर्ण नगरों हेतु नियमित बस सेवा उपलब्ध है | मुख्य बस अड्डे “ईदगाह” से दिल्ली, जयपुर, मथुरा, फ़तेहपुर सीकरी, आदि के लिए बहुत सी बसें चलती हैं | 165 किमी लंबा व 6 लेन चौड़ा नोएडा-आगरा एक्स्प्रेस वे दिल्ली से आगरा पहुंचे हेतु सड़क मार्ग का तीव्रतम साधन है |
स्थानीय परिवहन
इस नगरी में पहुँचने के बाद भी आपको ताज महल तक पहुँचने के लिए किसी स्थानीय परिवहन की आवश्यकता होती है | आप इस नगरी में टैक्सी, टेम्पो, आटो-रिक्शा अथवा साइकिल रिक्शा की सहायता से गंतव्य तक पहुँच सकते हैं | प्रीपेड टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध है यदि आप आस पास के क्षेत्रों का भी भ्रमण करना चाहते हैं | रोमांच के लिए, नगर के कई स्थानों से प्रति घंटे की दर से साइकिले भी किराये पर ली जा सकती हैं | चूंकि ताज महल क्षेत्र में डीज़ल अथवा पैट्रोल चालित वाहन प्रतिबंधित है अतः आपको यहाँ बैटरी चलित बसें, घोडा चलित तांगा, रिक्शा तथा अन्य प्रदूषण मुक्त वाहन सरलता से मिल सकते हैं |