उत्तर प्रदेश दिवस के बारे में

उत्तर प्रदेश सरकार प्रतिवर्ष 24 जनवरी को “उत्तर प्रदेश दिवस” मनाती है। इसी दिन वर्ष 1950 में तत्कालीन यूनाइटेड प्रोविन्स का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश किया गया था।

24 जनवरी, 1950 को भारत के गवर्नर जनरल ने यूनाइटेड प्रोविन्स आदेश, 1950 (नाम परिवर्तन) पारित किया था, जिसके अनुसार यूनाइटेड प्रोविन्स का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रखा गया था। प्रदेश ने वर्षों में विभिन्न परिवर्तनों को देखा है तथा 9 नवंबर, 2000 को पर्वतीय क्षेत्र उत्तराखण्ड को अविभाजित उत्तर प्रदेश से अलग किए जाने के बाद वर्तमान भौगोलिक स्वरूप को प्राप्त किया है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री राम नाईक ने अपने कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस को उत्तर प्रदेश दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा। उनके प्रस्ताव पर विचार करते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में प्रथम बार प्रदेश के स्थापना दिवस को ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के रूप में मनाया। इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को प्रदेश के स्थापना दिवस को ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

इस अवसर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम में संस्कृति, इतिहास, परंपरा, शिल्प, कौशल तथा प्रदेश की अन्य विविधताओं का प्रदर्शन किया जाता है। राज्य हित में, प्रदेश सरकार द्वारा बहुत सी योजनाएं भी प्रारम्भ की जाती हैं।

प्रदेश सरकार की उपलब्धियों व परियोजनाओं को जनमानस की सूचनार्थ विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा बहुत से स्टाल तथा प्रदर्शनियों के माध्यम से भी दर्शाया जाता है।

उत्तर प्रदेश दिवस का लक्ष्य है कि प्रदेश तथा देश के अन्य भागों में रह रहे लोगों को यहां के इतिहास, संस्कृति तथा विकास की जानकारी प्रदान की जाए व उन्हें प्रदेश के वृहद संभाव्य क्षेत्रों में निवेश हेतु आमंत्रित किया जाए।

उत्तर प्रदेश का इतिहास

अभिलेखों के अनुसार, राज्य 1834 तक बंगाल सूबे के अधीन था। उस समय तीन सूबे थें बंगाल, बंबई व मद्रास तथा एक चौथे सूबे के गठन की आवश्यकता अनुभव की गई जिसकी परिणिति आगरा सूबे के गठन के रूप में हुई एवं जिसका प्रमुख गवर्नर होता था।

जनवरी, 1858 में लार्ड कैनिंग इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में आ बसे तथा उत्तरी पश्चिमी सूबे का गठन किया। इस प्रकार शासन शक्ति आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गई। इसी क्रम में, वर्ष 1868 में उच्च न्यायालाय भी आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गया।

1856 में अवध को मुख्य आयुक्त के अधीन किया गया। बाद में जनपदों का उत्तरी पश्चिमी सूबे में विलय किया जाना प्रारम्भ हुआ तथा इसे 1877 में ‘उत्तरी पश्चिमी सूबा तथा अवध’ के नाम से जाना गया। पूरे सूबे को 1902 में ‘यूनाइटेड प्रोविन्स ऑफ आगरा एंड अवध’ का नाम दिया गया।

1920 में विधान परिषद के प्रथम चुनाव के बाद लखनऊ में 1921 में परिषद का गठन हुआ। क्योंकि गवर्नर, मंत्रियों तथा गवर्नर के सचिवों को लखनऊ में ही रहना था अत: तत्कालीन गवर्नर, सर हरकोर्ट बटलर ने अपना मुख्यालय इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया। 1935 तक सम्पूर्ण कार्यालय लखनऊ आ चुका था।

अब, लखनऊ सूबे की राजधानी बन चुका था, जिसका नाम अप्रैल 1937 में ‘यूनाइटेड प्रोविन्सेज़’ रखा गया तथा जनवरी, 1950 में भारत के संविधान के अधीन इसका नाम ‘उत्तर प्रदेश’ किया गया।

उत्तर प्रदेश दिवस की फोटो गैलरी